chhath puja me kya hai har ek din ka mahatw - chhath puja <br> festival

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chhath puja me kya hai har ek din ka mahatw

chhath puja

   छठ पूजा 2022 -   

30 अक्टूबर 2022 - नहाय-खाय

31 अक्टूबर 2022- लोहंडा और खरना
01 नवंबर 2022 - संध्या अर्घ्य
02 नवंबर 2022 - सूर्योदय/ ऊषा अर्घ्य और पारण

जानिए चार दिन के पर्व छठ में क्‍या है हर एक दिन का महत्‍व...

छठ के नहाय खाय

भक्त नदी में पवित्र स्नान करते हैं और वहां से कुछ पानी एक पात्र में अपने घर, अन्य सामग्री बनाने के लिए लेकर आते हैं।  घर के सभी सदस्य व्रति के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है। 



छठ के लोहंडा और खरना

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। 
वे पूजा में रसिओं-खीर, पूरी और फल चढाते हैं। उसके बॉस भोजन करने के बाद वे अगले 36 घंटे के लिए बिना पानी पिए उपवास करते हैं।

संध्या अर्घ्य


तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

उषा अर्घ्य


चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रति वहीं पुनः इकट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अर्घ्य देने के बाद घाट पर छठ माता से संतान-रक्षा और घर परिवार के सुख शांति का वर मांगा जाता है. इस पूजन के बाद सभी में प्रसाद बांट कर फिर व्रती खुद भी प्रसाद खाकर व्रत खोल लेते हैं...




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